सागर बत्रा रायपुर
चेट्रीचंड झूलेलाल जयंती पर भगवान झूलेलाल जी की जीवनी पर कुछ विशेष तथ्य
रायपुर :- वरिष्ठ समाज सेवी,सिंधी साहित्य अकादमी के पूर्व डायरेक्टर पेशे से सीए व भाजपा नेता अमित चिमनानी ने चेट्रीचंड यानी भगवान झूलेलाल जयंती पर भगवान झूलेलाल से जुड़ी कुछ चमत्कारिक घटनाओं की चर्चा करते हुए बताया कि आज से 1073 वर्ष पूर्व जब भारत अखंड था व सिंध प्रांत भारत का हिस्सा था तब सिंध प्रांत के अत्याचारी राजा मिरक शाह ने हिंदू ,सिंधी समाज के लोगो को इस्लाम धर्म कुबूल करने बाध्य किया लेकिन सिंधी समाज के लोगो ने इसका विरोध किया।सिंधी समाज के लोगो द्वारा इस्लाम न कुबूल करने पर मिरक शाह ने अत्याचारों की पराकाष्ठा की जिससे मुक्ति पाने हेतु सिंधी समाज के लोगो ने बड़ी संख्या में सामूहिक रूप से दरिया किनारे लगातार उपवास किया और धर्म की रक्षा के लिए भगवान को पुकारा।लगातार 40 दिन के कड़े उपवास और प्रार्थना के बाद धर्म की रक्षा के लिए भगवान झूलेलाल के अवतरित होने की आकाशवाणी हुई चैत्र शुक्ल संवत 1007 में नसरपुर में माता देवकी ने एक चमत्कारिक बालक को जन्म दिया जिसका नाम उदयचंद रखा गया राजा मिरक शाह को यह खबर लगते ही उसने इस बालक को मारने अपनी सेना को भेजा लेकिन कई बार के प्रयासों के बाद भी मिरक शाह की सेना वहां तक नही पहुंच पाती थी कभी उन्हे अपने आगे आग,कभी पानी का समंदर दिखने लगता था।एक लीला के दौरान भगवान झूलेलाल स्वयं बंदी बन कारागार भी पहुंचे जहां उन्होंने सभी हिंदू बंदियों को मिरक शाह की कैद से मुक्त कराया भगवान झूलेलाल ने मिरक शाह को कट्टरता त्याग कर मानवता अपनाने का उपदेश दिया लेकिन दुराचारी राजा पर इसका कोई असर नहीं हुआ मिरक शाह के अत्याचारों से पीड़ित सभी सिंधी हिंदू को नदी के किनारे इकट्ठे हुए,जहां पर माया से एक विशाल मंदिर का निर्माण हुआ। इस मंदिर में रत्ना जड़ित झूला भी था जिस पर प्रभु स्वयं विराजमान हुए यह झूला खुद-ब-खुद झूल रहा था इस तरह उनका नाम भगवान झूलेलाल पड़ा सभी ने श्री विश्वकर्मा द्वारा बनाए उस मंदिर में शरण ली भगवान झूलेलाल के हाथ में धर्म ध्वज शोभायमान था लोगों की चीख-पुकार करती भीड़ को देख भगवान झूलेलाल ने अग्नि देव एवं पवन देव को आदेश दिया कि मिरक शाह के साम्राज्य को ध्वस्त कर दें इसके बाद पवन देव और अग्नि देव का तांडव शुरू हुआ तो यह देख में मिरक शाह अपने अनुयायियों सहित रोता हुआ रहम की भीख मांगता हुआ भगवान झूलेलाल के दरबार में पहुंचा एवं उनसे क्षमा मांगने लगा भगवान झूलेलाल ने उसके पछतावे के आंसू देख कर उसे माफ करते हुए कभी किसी भी व्यक्ति के धर्म को ना बदलने का आदेश दिया एवं प्रजा के साथ किसी प्रकार का अत्याचार और भेदभाव न कर सभी को समभाव के साथ रहने ने की समझाइश दी अंग्रेजी कैलेंडर के हिसाब से भगवान झूलेलाल का जन्म 27 मार्च 950 को हुआ एवम यह उनकी 1073वी जयंती है।भगवान झूलेलाल ने मनुष्य रूप में लगभग 13 वर्ष 6महीने तक लीला करने के बाद अपने घोड़े सहित पाताल लोक के मार्ग से वैकुंठ धाम पहुंचे। उन्होंने अपने मनुष्य जीवन में धर्मातरण छोड़ मानवता को अपनाने का संदेश दिया एवम हिंदू धर्म की।अनुयायियों को अत्याचारों से मुक्त कराया।उनका अवतरण जल के सामने उपासना करने के बाद हुआ इसीलिए उन्हें जल देवता और वरुण अवतार भी कहा जाता है।
लेखक
सीए अमित चिमनानी