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     सागर बत्रा रायपुर

“छत्तीसगढ़ कर ब्याज और दंड बकाया निपटान नियम 2023“के प्रावधानों को सरल बनाने के लिए दिये सुझाव :- अमर पारवानी

रायपुर :- छत्तीसगढ़ चेम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के प्रदेश अध्यक्ष अमर पारवानी महामंत्री अजय भसीन कोषाध्यक्ष उत्तमचंद गोलछा कार्यकारी अध्यक्ष राजेन्द्र जग्गी विक्रम सिंहदेव राम मंधान ने बताया कि चेंबर प्रदेश अध्यक्ष अमर पारवानी के नेतृत्व में चेम्बर प्रतिनिधि मंडल ने नीलिमा तिग्गा अतिरिक्त आयुक्त वाणिज्यिक कर छत्तीसगढ़ शासन से मुलाकात कर “छत्तीसगढ़ कर ब्याज और दंड बकाया निपटान नियम 2023“ के प्रावधानों को सरल बनाने के लिए सुझाव दिये इस अवसर पर वाण्ज्यििक कर विभाग के अधिकारीगण सुनील चैधरी संयुक्त आयुक्त सी आर महलांगे संयुक्त आयुक्त अजय देवांगन संयुक्त आयुक्त और दुर्गेश पांडे उप आयुक्त प्रमुख रूप से उपस्थित थे। चेम्बर प्रदेश अध्यक्ष अमर परवानी ने पत्र के माध्यम से बताया कि वाण्ज्यििक कर आयुक्त छत्तीसगढ़ शासन से मुलाकात कर “छत्तीसगढ़ कर ब्याज और दंड बकाया निपटान नियम 2023“के प्रावधानों को सरल बनाने के लिए सुझाव दिये एवं पूर्व अधिनियम दिनांक 04.05.2023 एवं नियम दिनांक 15.09.2023 आवश्यक संशोधनों के साथ जारी रखने हेतु निवेदन किया गया साथ ही अन्य सुझाव नीचे दिए गए जो निम्नानुसार हैंः-ऽ सभी सर्किलों के लिए बकाया राशि की वसूली सूची विभाग द्वारा जारी की जाए। ऽ बहुत बड़ी संख्या में छोटी राशि के बकाया लंबित हैं जिनमें डीलर उपलब्ध नहीं हैं 1 लाख रुपये की मौद्रिक सीमा वाले ऐसे बकाया को छूट के माध्यम से समाप्त किया जा सकता है। आयकर कानूनों के तहत भी इसी तरह की स्थिति अपनाई गई है ऽ नियम 5 में आवेदक को मांग नोटिस के साथ मूल्यांकन आदेश की प्रमाणित प्रति प्रस्तुत करना आवश्यक है। इसमें शपथ पत्र के साथ चालान की प्रमाणित प्रति भी आवश्यक है। ऽ मूल्यांकन आदेश और डिमांड नोट की मूल प्रति अपील/संशोधन या उच्च न्यायालय में दायर की जाती है। ऐसे मामले में प्रमाणित प्रति संलग्न करना संभव नहीं है। डीलर द्वारा स्वयं प्रमाणित आदेश प्रति/चालान स्वीकार किया जा सकता है। ऽ शपथ पत्र के प्रारूप में एक खंड जोड़ा जाना चाहिए कि “मैं/हम आगे यह घोषणा करते हैं कि मैंने/हमने कर विवाद को समाप्त करने के लिए ही कर निपटान की इस योजना के तहत आवेदन किया है।“वाणिज्यिक कर अधिकारी के प्रति हस्ताक्षर की शर्त को वापस लेने की आवश्यकता है क्योंकि शपथ पत्र आवेदक द्वारा शपथ के तहत दायर किया गया है। ऽ निर्धारित तिथि को उस तिथि के रूप में अधिसूचित किया जाना चाहिए जिस दिन से पहले निपटान अधिनियम प्रभावी हुआ है। इससे उन व्यापारियों को निपटान योजना का लाभ लेने की अनुमति मिलेगी जो पहले लाभ नहीं उठा सके थे। ऽ धारा 11(1)(ए) में निर्धारित तिथि शब्द को हटाया जाना चाहिए या उसके स्थान पर आवेदन की तिथि रखी जानी चाहिए। ऽ आवेदन जमा करने की अंतिम तिथि निर्धारित करने के लिए अधिसूचना जारी की जानी चाहिए। (दिनांक 15.09.2023 के क्रमांक 35 के समान)। धारा 11 में संशोधनः- वर्तमान अधिनियम के तहत धारा 11 अपील में किए गए किसी भी भुगतान या सर्वोच्च न्यायालय या उच्च न्यायालय के किसी भी अंतरिम आदेश के संबंध में किसी भी भुगतान को उक्त तिथि को या उससे पहले समायोजित करने का प्रावधान करती है। नियमों में संशोधनः-नियमों के तहत निर्धारित आवेदन पत्र तैयार करते समय हम पाते हैं कि कुछ विसंगतियाँ हैं जिसके कारण अधिनियम और नियमों का उद्देश्य आवेदक डीलर तक नहीं पहुँचाया जा सकता है। यह आवेदन पत्र ( ब्ै। -1) और निपटान आदेश ( ब्ै।-1) में कुछ स्तंभों में अंतर के कारण हैः फॉर्म ब्ै।-1 (आवेदन पत्र) और फॉर्म ब्ै।-1 (निपटान आदेश)ःआवेदन पत्र ब्ै।-1 और निपटान आदेश फॉर्म ब्ै।-3 अधिनियम और नियमों के प्रावधानों के अनुरूप नहीं हैं सीएसए-1 की अनुसूची का कॉलम 6 इस प्रकार हैः-“किसी न्यायालय या अपील या पुनरीक्षण के किसी अंतरिम आदेश के तहत आंशिक रूप से भुगतान की गई राशि“जबकि सीएसए-3 की अनुसूची का कॉलम 6 इस प्रकार हैः “किसी न्यायालय या अपील या पुनरीक्षण के किसी अंतरिम आदेश के तहत आंशिक रूप से भुगतान की गई राशि यदि मामले में अंतिम आदेश पारित किया गया है“जबकि सीएसए-3 की अनुसूची का कॉलम 13 इस प्रकार हैः“किसी न्यायालय या अपील के अंतरिम आदेश के तहत आंशिक रूप से भुगतान की गई राशि “अंतिम आदेश“शब्द को भी परिभाषित नहीं किया गया है लेकिन धारा 48(7) के अनुसार यदि कोई अपील ट्रिब्यूनल के समक्ष संदर्भ के लिए लंबित है या उच्च न्यायालय या सर्वोच्च न्यायालय द्वारा संदर्भ स्वीकार किए जाने पर है तो उच्च न्यायालय या सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों पर ट्रिब्यूनल द्वारा पारित आदेश अंतिम होगा (धारा 55(6))। जिन डीलरों के मामलों में अंतिम आदेश लंबित नहीं है उन्हें अनुसूची-ए का लाभ नहीं दिया जाएगा इसलिए सीएसए-1 का कॉलम नंबर 6 सीएसए-3 के कॉलम नंबर 6 के समान होना चाहिए सीएसए-3 में अनुसूची के कॉलम नंबर 11 से 13 को सीएसए-1 में जोड़ा जाना चाहिए। ऽ ब्याज में अतिरिक्त भुगतान को कर की देयता के विरुद्ध समायोजित किया जाना चाहिए और शेष राशि को“नामित समिति द्वारा स्वीकृत राशि“के रूप में प्रमाणित किया जाना चाहिए पारवानी ने अतिरिक्त आयुक्त वाण्ज्यििक कर से निवेदन किया कि फॉर्म सीएसए-1 और फॉर्म सीएसए-3 को नियमों की आवश्यकता के अनुसार संशोधित किया जाए।

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सागर बत्रा संपादक सागर न्यूज़ 24 मोबाइल नंबर :- 9131216133

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